चीन, इटली और स्पेन के बाद अमेरिका में कहर ढा रहे कोरोना वायरस से बड़ी तादाद में भारतीय भी प्रभावित हुए हैं। मैसेच्यूसेट की राजधानी बोस्टन में 80 हजार के करीब भारतीय रहते हैं और यहां समेत पूरे नार्थ अमेरिका में उन भारतीय छात्र-छात्राओं की मुश्किल हो गई है, जो स्कूल-कॉलेज के हॉस्टल में रहते हैं। लॉकडाउन के कारण इन सबको बाहर कर दिया है, ऐसे में इंदौर के एक आईटी प्रोफेशनल प्रमीत माकोड़े अपनी टीम के साथ इनकी मदद कर रहे हैं।
प्रमीत और उनकी टीम ने ऐसे सभी भारतीयों के लिए सबसे पहले रहने की व्यवस्था करवाई है। उन्होंने बोस्टन व आसपास 600 होटल संचालकों के साथ करार किया है। जिन लोगों के पास पैसा नहीं है, उनके होटल में रुकने, खाने का सारा खर्च वे उठा रहे हैं। दूसरा काम उन्होंने वीजा संबंधी परेशानियों को दूर करने का शुरू किया है। इसके लिए उन्होंने इमीग्रेशन लॉयर (वकील) का इंतजाम किया है, जो भारतीयों को काउंसलेट व अमेरिकी प्रशासन से जुड़े कामों में मदद कर रहा है। इससे उन्हें फ्लाइट शुरू होने तक अमेरिका में रहने की अनुमति मिल जाएगी।
इसके अलावा जिन लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत है, प्रमीत उनके लिए मेडिकल हेल्पलाइन चला रहे हैं। प्रमीत को इस काम में फ्रैंड्स ऑफ एमपी और कम्प्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया, नाॅर्थ अमेरिका के सदस्यों का साथ भी मिल रहा है। प्रमीत के काम की नाॅर्थ अमेरिका सहित भारतीय दूतावास के अधिकारी भी प्रशंसा कर रहे हैं। काउंसिल जनरल संदीप चक्रवर्ती ने तो फेसबुक पर उन्हें बधाई देते हुए लिखा कि प्रमीत शुक्रिया, तुम और तुम्हारी टीम ने शानदार काम किया। इसका जिक्र काउंसलेट इंडिया इन न्यूयॉर्क पेज पर करेगा।
बोस्टन में इंदौर सहित मप्र के 150 लोग, सभी सुरक्षित
इंदौर के ओल्ड पलासिया निवासी प्रमीत 17 साल से बोस्टन में हैं और वे फेंड्स ऑफ एमपी के फाउंडर मेंबर और कम्प्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी हैं। प्रमीत के मुताबिक, ग्रेटर बोस्टन में करीब 1200 लोग कोरोना से पीड़ित हैं। इसमें कुछ भारतीय डॉक्टर्स को संक्रमण हुआ है, उनका उपचार चल रहा है। यहां मप्र व इंदौर के 150 लोग हैं, वे सभी सुरक्षित हैं। इनमें से जिन लोगों के पास रहने की व्यवस्था नहीं है, उन्हें हमने होटल में रुकवाया है। अब तक 48 लोगों को होटल में रूम दिलवा चुके हैं।